अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कविताएं : नारी महिमा पर कविता।

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नारी महिमा कविता

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविताएं

दुनिया भर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिलाओं की गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखने उनको सम्मान देने के लिए 8 मार्च को विभिन्न देशों में समारोह का आयोजन किया जाता है परंतु यदि देखा जाए तो भारत में इसके मायने और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं। भारतीय महिला सेवा और त्याग की प्रतिमूर्ति मानी जाती हैं

भारत में महिला घर से लेकर समाज और देश के लिए पुरुषों के समान ही अपने कर्तव्य का पालन करती हैं बल्कि यह कहा जाए कि घर और समाज में पुरुष की बजाए महिला की भूमिका ही अधिक महत्वपूर्ण है।

नारी महिमा पर गीत

नारी एक नाम नहीं है। नारी कोई सम्मान नहीं है। उसको नारी कहना अपमान नहीं है क्योंकि वह तुम्हारे समान नहीं है। नारी को बनाया ईश्वर ने तुम्हारे समान पर तुमने कर दिया उसको अपनी जरूरतों के समान। यह है नारी महिमा।

नारी की महिमा वही समझ सकते हैं जो कभी खुद नारी का काम करें। माना कि नारी के अनेक रूप हैं परंतु वह रूप देने वाले भी हम स्वयंभू ही उदाहरण स्वरुप हैं।

प्रसिद्ध साहित्यकार और महान कथा नायक प्रेमचंद ने कहा था कि, नारी जब पुरुष की तरह आचरण करने लगे तो वह देवी हो जाती हैं परंतु जब पुरुष नारी की तरह आचरण करने लगे तो वह राक्षस हो जाता है। इसलिए पुरुष के कार्य पुरुष और नारी के कार्य नारी ही करे तो शोभा देता है।

हमने यहां पर नारी के सम्मान में कुछ कविताएं लिखी हैं जो नारी के महत्व और नारी के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं परंतु सच में यदि मैं अपने कलम से लिखूं तो नारी के महत्व को बताने के लिए ऐसी कोई कलम आज तक बनी ही नहीं है।

नारी की महिमा हम अपने बचपन से लेकर किशोरावस्था और वृद्धावस्था तक अपने परिवार में खुद अपनी आंखों से देखते हैं परंतु अफसोस हम इस पर विचार नहीं करते और नारी को मात्र एक यंत्र समझ लेते हैं।

मैंने यह नारी पर कविता इसीलिए लिखी है ताकि आप जान सके कि जिस बहन मां और बेटी को आप हाड़ मांस का पुतला समझ रहे हो वह कितना सघन परिश्रम करती है। मध्यम वर्ग में नारी परिवार को संभालने और जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाती है।

हो सकता है आप मेरे विचार से सहमत ना हो क्योंकि हाई प्रोफाइल क्लास में नारी का स्वरूप बदल गया है तो उसका महत्व भी बदल गया है। मैं उस नारी की महिमा पर बात नहीं कर रहा जो अभी अभी नई आज की आधुनिक नारी बनी है जिसको संस्कार नहीं मिले हैं और वह बेचारी किसी भी तरह से अपना प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।

नाचना गाना या सबके सामने आना प्रदर्शन नहीं है। प्रदर्शन वह है जो जानबूझकर दिखाया जाए। अपनी खूबियों को और अपने कला प्रदर्शन को भी नारी की महिमा में गिना जाता है। नारी महिमा वहां क्षतिग्रस्त हो चुकी है जहां नारी अपने प्रदर्शन से पुरुषों का व्यभिचार करती हैं या दूसरी अन्य नारियों को संकट में डालती हैं।

नारी के सम्मान में प्रस्तुत हैं कुछ कविताएं :

नारी पर कविता

नारी तेरे किरदार हैं अनेक

नारी तेरे किरदार हैं अनेक

हर किरदार को तुमने बखूबी निभाया है।

जीवन के सुंदर उपवन में

खुशियों का फूल सजाया है।

घर का आंगन तुमने किया हरा भरा

घर के हर कोने को महकाया है।

पौरुष तो सदा अल्हड़ जवानी से था भरा

प्रेरणा का मार्ग तुमने दिखाया है।

तुलसी की वाणी में

गोविंद की गुरुवाणी में

तुम्हारा ही राग उतरकर आया है।

जीवन के कुरुक्षेत्र में

पुरुष जब हुआ कुंठित और पराजित

तुमने ही दी प्रेम की शीतल छाया है।

नारी का श्रृंगार प्रेम का उपहार

सेवा और प्रेम का संसार

नारी तुम ने रचाया है।

जब-जब आवाज दी मिट्टी ने

तुमने बलिदानों का त्योंहार मनाया है।

नारी तेरे किरदार हैं अनेक

हर किरदार को तुमने बखूबी निभाया है।

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता: जहां नारियों की पूजा की जाती है वहां देवता निवास करते हैं।

मां की ममता

जिसने दिया हमें पहला निवाला

बड़े नाजों से हमें है पाला

उस मां की ममता की मूरत में

प्यार था अजब निराला।

हर कष्ट को वो जी लेती थी

हर दर्द के जहर को

आंसू बनाकर पी लेती थी।

उस मां की ममता की छाया में

पलकर बड़े हुए हैं हम

जिसके दूध की गंगधार को

पीकर खड़े हुए हैं हम।

उंगली पकड़कर जिसने चलना सिखाया

शरारत करने पर थोड़ा डराया

मेरी हंसी में अपना सब गम बुलाया

रूठ जाने पर जिसने मनाया

चोट लगी मुझे तो पानी

उसकी आंखों में उतर आया

थपकी देकर सीने में छुपाया

जिसके आशीर्वचन ने

मुझे हर दुख से बचाया

उस मां की ममता की

निराली है माया।

जिसके सर पर मां का हाथ है

ईश्वर सदा उनके साथ है

आह! जिसने यह दुनिया रची

विधाता की सुंदर सृष्टि।।

women’s day महिला दिवस के अवसर पर विधाता की सुंदर सृष्टि नारी शक्ति को नमन है

नारी सम्मान पर गीत:नारी तुझको नमन है

सपनों के घरोंदों को महल बनाने वाली

बिखरी मीनारों को फिर से बसाने वाली

तपती लू में उजड़ गए जो

उन बागों को किया चमन है

नारी तुझको नमन है।

कभी पिता के अभिमान पर

कभी भाई के स्वाभिमान पर

कभी मां के दुलार पर

और कभी बेटी की पुकार पर

तुमने अर्पण किया अपना जीवन है

नारी तुझको नमन है।

सरस मौन राग भरे

तेरे होठों की लालिमा

कभी फागुन का फाग भरें

तेरे केशों की कालिमा

तेरे हाथों के कंगन मर्यादा का बंधन है

नारी तुझको नमन है।

नाजो में तू अल्हड़ बाला

गीतों की तू मधुशाला

यौवन रस का आगार लिए

जीवन की सुंदर पाठशाला

सुध-बुध से बिसरा तन मन है

नारी तुझको नमन है।

अंत में

महिला दिवस पर प्रस्तुत यह कविताएं एकदम मौलिक हैं, नारी के किरदार अनेक, मां की ममता और नारी शक्ति को नमन है, यह कविताएं आपको पसंद है या नहीं हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। धन्यवाद

नारी सम्मान पर कविता और नारी सम्मान पर गीत।

नारी सम्मान और नारी महिमा पर यह गीत आपको कैसे लगे। नारी सम्मान और नारी सशक्तिकरण पर कविताएं और महिलाओं के सम्मान अधिकार पर कविता यहां प्रस्तुत की गई है।

नारी सम्मान के लिए यह गीत जो नारी के विभिन्न स्वरूपों जैसे मां बहन बेटी को दर्शाते हैं और उनके अनुपम बलिदान को प्रदर्शित करते हैं आपको अच्छे लगे तो हमें खुशी होगी।

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