भाई कैसे होते हैं। भाई को कैसा होना चाहिए ।

जिसने देखे हैं भाइयों के रंग, उसे अब दुश्मनों के रंग देखने की जरूरत क्या है? भाई कैसा होना चाहिए?

अपना तो अपना होता है, कैसा भी हो भाई आखिर खून अपना रंग दिखाता है।

जी हां यदि आप है पढ़ना चाहते हैं कि भाई कैसे होते है तो जान लीजिए भाई और परिवार का रिश्ता अजीब होता है यह कभी खुशी देता है तो कभी गम। कभी दोस्त भाई से बढ़कर लगते हैं तो कभी दोस्तों की नजर में अपना भाई सबसे बड़ा होता है। तो पढ़िए इस पोस्ट में भाई कैसे होते हैं और भाइयों को कैसा होना चाहिए।

भाई कैसा होना चाहिए

बचपन में भाई कैसा होता है

भाई छोटा हो या बड़ा बचपन में सब को अच्छा लगता है। भाई हमारे साथ खेलता है, भाई से हम बहुत कुछ सीखते हैं। यदि बड़ा भाई है तो हम उसका अनुकरण करते हैं। बचपन में भाई के प्रति प्रेम और सम्मान होता है।

बचपन में भाई क्या खा रहा है या परिवार में उसको कितनी तवज्जो दी जा रही है। हम भाई से ईर्ष्या और जलन करते हैं जब वह परिवार में ज्यादा सम्मान का पात्र होता है। रैना कहती हैं,

“मैं हमेशा अपने भाई से लड़ते झगड़ते रहती थी क्योंकि मुझे लगता था कि जिन चीजों पर मेरा अधिकार है वह मेरे भाई को प्राप्त हो रही हैं बाद में बचपन बीता तो समझ आया भाई मेरे लिए एक अमूल्य उपहार है। भाई हो तो ऐसा होना चाहिए।”

अनमोल कहते हैं,

“संसार में शायद ही ऐसा कोई रिश्ता होगा जितना रिश्ता भाई-बहन का है। बचपन में खूब लड़ते थे, मम्मी पापा की डांट साथ साथ ही खाते थे पर जब से बहन ससुराल गई है, लगता है क्यों मैंने दीदी को इतना परेशान किया? आज मुझे दीदी की याद खूब आती है, खिलौनों के टूटने पर भी इतना नहीं रोया होउंगा जितना आज अपनी बहन को याद करके रोता हूं।”

बचपन में खिलौने और भाई एक जैसे ही होते हैं। टूट गया, रुठ गया। अपना था इसलिए सब कुछ अच्छा लगता है। सही मायने में भाइयों का रंग बचपन में ही सबसे उजला और पवित्र होता है।

जवानी में भाई कैसा होता है

अब बचपन बीता आई जवानी। जवानी की है एक नई कहानी। भाई के बीच में बहुत सारे रिश्ते बनते और बनती है एक नई सजीली कहानी।

अब घर बार रिश्तेदार, नए नए रिश्ते और कमाने की लालसा, बचपन का प्यार जवानी में कहां रह पाता है?

भाई समर्थ है तो उससे लेने की इच्छा होती है और यदि भाई कमजोर है तो उसकी मदद करने का मन करता है परंतु अब घर परिवार की इतनी सारी समस्याएं? कहां तक सुलझाए? ये मेरा बेचैन मन?

सच है वास्तव में हम जवानी की दहलीज पर कदम रखते हैं और हमारे साथ पूरा परिवार होता है तभी हमें रिश्तो की अहमियत पता चलती है।

अब भाई कशमकश में है अपने परिवार की जरूरतें पूरी करें या फिर छोटे या बड़े भाई को कुछ सहायता करें?

घर में देवरानी जेठानी की कलह है सो अलग।

प्रॉपर्टी का विवाद अलग से चल रहा है, जाने क्यों सारी प्रॉपर्टी यह भाई ही खाना चाहता है, जैसे हम तो कुछ है ही नहीं और देखो कैसे-कैसे षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। कभी कोई अम्मा को बहका रहा है तो कभी कोई पिताजी को। पिताजी भी पता नहीं क्यों छोटे/बड़े भाई को ही ज्यादा प्यार करते हैं।

शायद उनकी सरकारी नौकरी है/शायद उनके पास अच्छा बिजनेस है या शायद उनके पास अच्छी खासी प्रोप्टी और पैसा है?

यह बातें मैं नहीं कह रहा, तमाम घरों से निकल कर आती हैं, किसी मंद हवा और खुशबू की तरह। इस खुशबू का आनंद वे लोग लेते हैं जो दूरदर्शी हैं यानी आपके परिवार की खुशहाली को दूर से देखकर जलन वश दुखी हो रहे हैं और आपका बहुत ज्यादा भला चाहते हैं।

इस दुख की कोई सीमा नहीं है। यहां पर तरह तरह के षड्यंत्र रचे जाते हैं। इसमें भाई का कोई दोष नहीं है। तमाम पड़ोसी और परिवार वालों के सामूहिक सहयोग से ही यह दुष्कर कार्य संपन्न होता है।

बुढ़ापे में भाई कैसा होता है

गई जवानी आया बुढ़ापा। सहारा ले लिया लकड़ी का।सारी उम्र कमाए फिर भी अंत में पछताए, अब अंत में कुनबा करेगा हिसाब क्योंकि आप तो हो चुके खाली किताब।

अब अवस्था आती है हिसाब किताब करने की। खूब कमाए, खूब लिया दिया पर अंत में वही ढाक के तीन पात।अब सोच सोच कर परेशान हैं कि किसको क्या नहीं दिया और किससे क्या ज्यादा ले लिया?

असल में अंतिम अवस्था में ही भाइयों का हिसाब किताब होता है और तब अपनी सहनशक्ति और आत्मविश्वास की परीक्षा होती है। इस अवस्था में जाकर हम सोचते हैं कि कितने प्यारे थे भाई, इतना अच्छा था परिवार पर अफसोस यह संबंध संभाले नहीं गए।

संस्कार ही सही रंग दिखाता है, भाइयों के रंग।

वास्तव में हम कुछ नहीं है, हमें अपने संस्कार माता पिता और परिवार ही सब कुछ बनाते हैं परंतु हम अपने आप को बहुत ज्यादा आंकने में लगते हैं इसी का दुष्परिणाम होता है कि हम अपने भाइयों का रंग देखने लगते हैं। जैसे हम हैं वैसा ही हमारा भाई है बस परवरिश का फर्क पड़ सकता है। ध्यान रखें, खून का रंग कभी नहीं बदलता और भाई का रंग भी कभी नहीं बदलता। बस लोग बहकावे में आकर अपने भाई के साथ गद्दारी करते हैं। यहां तक की दौलत और माया के लिए अपने ही भाई का मर्डर तक कर देते हैं।

यदि आप समझदार हैं और थोड़ा सा भी ज्ञान रखते हैं तो रिश्तो का महत्व समझें और यदि आपका भाई गलत रास्ते पर जा रहा है तो उसे सुधारने की कोशिश करें। आपको लगता है कि आपके सारे प्रयत्नों के बावजूद आसुरी शक्तियां इतनी प्रबल हो गई हैं कि उन पर आपका नियंत्रण नहीं रहा है तो अपने भाई को जस की तस हालत में छोड़ दें परंतु कभी भी उसके साथ गद्दारी करने का विचार न करें।

तो यह पोस्ट थी मेरी भाई कैसा होता है और भाई कैसा होना चाहिए, आप अपने विचार कमेंट में प्रस्तुत कर सकते हैं। भाइयों के सभी तरह के रंग होते हैं क्योंकि यह दुनिया अजीब है यहां पर सभी तरह के लोग रहते हैं। प्यार और विश्वास करने वाले भाई भी यहां पर मिलते हैं और गद्दारी करने वाले भाई भी इसी समाज की देन हैं।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *